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Showing posts from January, 2012

भ्रष्टाचार !!

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अब भ्रष्टता की हद होने लगी है.. इंसानियत चंद सिक्को में खोने लगी है.. रोज़ कोई नेता - कोई कर्मचारी , सामने आता है.. देखो भारत की भूमि पर , कैसे दाग  लगाता  है ..!! एक गरीब के पैसे से तुम अपना पेट क्यों भरते हो.. लालच की यह धुंध है केसी , जो भगवान से  ना तुम   डरते हो.. उन बिलखती आँखों के तुम , आंसू तो न पोछ सके.. खुद की खुदगर्जी में , भूके   बच्चो  का न सोच सके..!! माता पिता ने पढ़ा लिखाकर , तुमको अफसर बना दिया.. आज देखकर लगता है की , सबसे बड़ा एक गुनाह किया.. रिश्वत लेने से  अच्छा   था , भिक्षा लेकर जी लेते.. मुह खोलकर मांगे पैसे , बेहतर होंठ तुम सी लेते..!! लाखों का धन है तो भी , क्यों आज भिखारी बन बैठे.. काले धन की पूजा करके , जाने केसे तन बैठे.. भूल गए , बचपन में तुम भी, खिलौना देख रो देते थे.. आज कैसे , उन नन्हे हा थों  से , खेलने का हक़ ले बैठे..!! एक आदमी पेट काट कर , अपना घर चलाता है..  खून पसीना बहा बहा कर ,  मेहनत  की रोटी    खा ता है..   खुद भूका सो जाये  पर ,  बच्चो की  रोटी लाता है..      तू उनसे  छीन  निवाला , जाने  कैसे  जी पता है.. !!

माता पिता है - बोझ नहीं !!

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आज  यह आँखें , उनका  हाल  देख  आई .. जो  अपनों  से  दूर , किसी  कोने  में  रह  रहे  है .. दर्द  ए जुदाई  है , जो  वो  हर  रोज़  सह  रहे  है .. बड़ी मुश्किल से थाम पाई,  मैं उनका  हाथ .. जो  काम्प्ते  - काम्प्ते कह  रहे  थे ..!! एक  झलक  दिखा  दो  उस  बेटे  की .. जिनकी  ऊँगली  थामे , हम  रह  रहे  थे ..!! उन  आँखों  की  तड़प  देखकर , मेरा  दिल भी  रो  बैठा .. सुनकर  उनकी  दास्ताँ , क्यों  यह  मुझसे कह  बैठा ..!! यह  केसा  तोल - मोल  है , इस  दुनिया  का ऐ खुदा .. जिस  कोख  में  पाला - पोसा , उससे  ही है वो जुदा ..!! दूर  देश  में  रहता  है  वो.. कोई  उस  तक , यह  पंहुचा  दे ..!! रातों  की  लोरी , बेसन  के  लड्डू .. मेरे  हाथ  के  बने  , पंहुचा  दे ..!! सिसक  सिसक  कर  , उन  हाथो  ने.. हाथ  मेरा  जब  छोड़ा ..!! इस  दुनिया  के  मोह  से  मैंने .. अपना मुंह फिर  मोड़ा ..!! "माता पिता भगवान का रूप है.. उन्हें खुद से दूर मत करो..!! तुम्हारा बचपन उनके सहारे पनपा है.. अब तुम उनका सहारा बनो..!!"