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पत्थर है हम अब कभी रोते नहीं..!

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तेरी   यादों   से   एक   पल   भी   दूर   होते   नहीं .. रात   कट   जाती   है   पर   नैन   मैरे सोते   नहीं ..  मूरत   सी   बन   गए   है   कोई   जान   नहीं .. पत्थर   है   हम   अब   कभी   रोते   नहीं ..!! वजह   ना   पूछ   इस   दिल   की   मजबुरिया    है .. यह   दर्द   अल्फाजो   में   बयान   होते   नहीं .. इन   तुफानो   ने   खदेड़ा   है   हमें   इस   कदर .. फिर   भी   खड़े   है   हम   होश   अपना   खोते   नहीं ..!! सुना था इश्क ए जुदाई का मरहम ही नहीं .. घाव है हरा पर पलके हम   भिगोते नहीं .. रात कट जाती है पर नैन  मैरे  सोते नहीं .. पत्थर है हम अब कभी रोते नहीं ..!!

मौसम ए त्यौहार और चुनाव !!

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आया मौसम ए त्यौहार, चुनाव संग लाया है।   हर मंत्री , हर संत्री ने, फिर से बिगुल बजाया है।।   ढोल ढमाके सज गए, मंच भी सजाया है।   बड़े बड़े फोटो वाला, बैनर पोस्टर भी बनवाया है।। दावा, दारू, खाना नहीं, पैसा तक बंटवाया है। लम्बे लम्बे पर्चो पर, मैनिफेस्टो भी छपवाया है।                 कुर्ते पैजामे सिल गए, किसी ने सूट भी सिलवाया है। हार, फुल, माला, घर में इत्र भी छिड़कवाया  है।। आचार संहिता की लिमिट, नया कानून भी बनाया है। छुप  छुप कर प्रचार करेगे, यह सन्देश भी फैलाया है।। आम जनता कुछ नहीं , परिवारवाद ही बढ़ाया है। नेता पुत्र , नेता पुत्री, हर गद्दी पर नज़र आया है।। ४ साल में बढ़ा वजन , पांचवे साल में घटाया है। गली गली घुमे साहब , लोगो को गले भी लगाया है।।                                                        कमल, पंजा, एरावत , गलियों में क्या क्या लहराया है।        इस चुनाव ने भैया , धुल मिटटी में नहलाया है।।                   भीड़ बुला ली लाखो की , खाने को तरसाया है। लोटा , कटोरी बाँट कर , वोट बैंक बढाया है।। जात-पात के न

गम छिपाए रखते है!!

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मुस्कराहट से अपनी , हम गम छिपाए रखते है। पलकों की आड़ में , आंसू दबाये रखते है।। ग़लतफ़हमी है जग   को , की कोई गम नहीं हमें। दुनिया को हम अपनी , खुशिया बताये रखते है।। पल पल में इम्तेहान , छु लेते है कदम। इम्तेहानो को हम अपना  , हौसला   दिखाए रखते है।। डर भी कभी कभी , दे देता है दस्तक। डर   को भी हम अपने , फाटक   दिखाए रखते है।। दिल भी कभी कभी , रो देता है थककर। दुनिया को हम हरदम , पत्थर दिखाए रखते है।। बेशक्ल दुनिया को , सूरत ही है काफी।           इसीलिए भी हम अपना , यह दिल छिपाए रखते है।।

ख़त मेरे अपनों के नाम !!

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      माँ मैं दूर नहीं तेरे पास हु .. तेरी रूह का हर एक एहसास हु।। तेरी ममता की छाया में मैं हु पली.. तेरा ही हिस्सा हु एहसास हु।। तुझसे ही सिखा है दुनिया को जीना.. कैसे सारे गमो को हंस हंस कर पीना।। तुझसे ही जानी है हर एक सच्चाई.. तुझसे ही बनी हु - मैं हु तेरी परछाई।। पापा से कहना पलकों में हु मैं.. झपका कर देखे ख्वाबो में मिलूंगी।। बेटी नहीं बेटा  हु उनका.. वो हँसते रहे मैं खिलखिलाती रहुँगी ।। उन्ही से सिखा है सपनो को बुनन.. उन्ही के तो सपनों को अपना है जाना।। उन्ही को तो कहती हु पहचान अपनी.. उन्ही को तो अपनों से अपना है माना।। भाई से कहना तू संबल है सबका .. तेरे ही भरोसे है , वो ममता का आँचल (माँ) ।। तेरे ही सहारे है , वो सिख और समझाईश (पापा)।। तू ही सहारा है उन दो दिलो का , जिन्हें मैं मेरे - उस घर छोड़ आई।।        
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मनुष्य की सोच !! आज इस पल में तू खुश है , कल जाने कब   तुझे रोना है।। जीले जी भर के   इस पल को , जाने कल क्या होना है।। तू है मुसाफिर उस   सफ़र   का , जहा कभी कुछ पाना है  - कभी खोना है।। तू खुद को कह ले कठपुतली ,  पर   हाँ तू एक खिलौना है।। इस भाग दौड़ भरे जीवन में ,  जहा सबसे महंगा सोना है।। तेरा मालिक तू खुद ही नहीं , यह सच   थोरा सा घिनोना है।। तू चलता , गिरता , उठता है , क्यूंकि कद में तू   बौना है।। तू खुद को कर ले यूँ   बुलंद , की तुझको साबित होना है।। ईश्वर के जवाब !! बन जा   पतंग का वो मंझा , जो कट के भी चोट दे जाये।। लाख तुफानो को भी तू , हँसते हँसते सह जाये।। बन जा   सूरज की वो किरण , जो जग में उजियारा कर जाये।। तेरी आहत की हो खबर ,  तो दुश्मन भी तुझसे दर जाये।। बन जा शब्दों की वो मिश्री , जो पत्थर दिल भी पिघल जाये।। बन जा इश्वर की वो भक्ति ,  जो    हर गम का घूंट निगल जाये।। बन जा हर    नजर की वो सूरत , की   हर