मनुष्य की सोच !!
आज इस पल में तू खुश है , कल जाने कब तुझे रोना है।।
जीले जी भर के इस पल को , जाने कल क्या होना है।। तू है मुसाफिर उस सफ़र का , जहा कभी कुछ पाना है - कभी खोना है।। तू खुद को कह ले कठपुतली , पर हाँ तू एक खिलौना है।। इस भाग दौड़ भरे जीवन में , जहा सबसे महंगा सोना है।। तेरा मालिक तू खुद ही नहीं , यह सच थोरा सा घिनोना है।।
तू चलता , गिरता , उठता है , क्यूंकि कद में तू बौना है।।
तू खुद को कर ले यूँ बुलंद , की तुझको साबित होना है।। |
ईश्वर के जवाब !!
बन जा पतंग का वो मंझा , जो कट के भी चोट दे जाये।।
लाख तुफानो को भी तू , हँसते हँसते सह जाये।। बन जा सूरज की वो किरण , जो जग में उजियारा कर जाये।। तेरी आहत की हो खबर , तो दुश्मन भी तुझसे दर जाये।। बन जा शब्दों की वो मिश्री , जो पत्थर दिल भी पिघल जाये।। बन जा इश्वर की वो भक्ति , जो हर गम का घूंट निगल जाये।। बन जा हर नजर की वो सूरत , की हर मूरत तुझसी बन जाये।। दुनिया में वो एक नाम तू बन , की तेरे अपनो का सीना तन जाये।। |
ना रे, कहा रोइ मैं?
ना रे, कहा रोइ मैं? वो तो उबासी ली, तो आँसू आ गये। देख मुस्कुरा रही हु, देख घूमने जा रही हु। देख सबसे हंस के, फरमा रही हूँ।। अरे उन आँखों का, क्या दोश? वो जज़्बाती हैं ज़रा। भर आती हैं, किसी का जाना देखकर। पथरा जाती हैं, फिर ज़माना देखकर।। चलो मान लेते हैं, हाँ रो दिये थे हम। एक क्षण के लिये, खुद को खो दिये थे हम।। समेट लिया ना, संभल जायेगे। बस प्रॉमिस नहीं करते, की फिर से मुस्कुरायेगे।। $शिवि$
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