मनुष्य की सोच !!

आज इस पल में तू खुश है , कल जाने कब तुझे रोना है।।
जीले जी भर के इस पल को , जाने कल क्या होना है।।
तू है मुसाफिर उस सफ़र का , जहा कभी कुछ पाना है - कभी खोना है।।
तू खुद को कह ले कठपुतलीपर हाँ तू एक खिलौना है।।
इस भाग दौड़ भरे जीवन मेंजहा सबसे महंगा सोना है।।
तेरा मालिक तू खुद ही नहीं , यह सच थोरा सा घिनोना है।।
तू चलता , गिरता , उठता है , क्यूंकि कद में तू  बौना है।।
तू खुद को कर ले यूँ  बुलंद , की तुझको साबित होना है।।
ईश्वर के जवाब !!
बन जा पतंग का वो मंझा , जो कट के भी चोट दे जाये।।
लाख तुफानो को भी तू , हँसते हँसते सह जाये।।
बन जा सूरज की वो किरण , जो जग में उजियारा कर जाये।।
तेरी आहत की हो खबरतो दुश्मन भी तुझसे दर जाये।।
बन जा शब्दों की वो मिश्री , जो पत्थर दिल भी पिघल जाये।।
बन जा इश्वर की वो भक्तिजो  हर गम का घूंट निगल जाये।।
बन जा हर  नजर की वो सूरत , की  हर मूरत तुझसी बन जाये।।
दुनिया में वो एक नाम तू बन , की तेरे अपनो का सीना तन जाये।।

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