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ना रे, कहा रोइ मैं?

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ना रे, कहा रोइ मैं? वो तो उबासी ली, तो आँसू आ गये। देख मुस्कुरा रही हु, देख घूमने जा रही हु। देख सबसे हंस के, फरमा रही हूँ।। अरे उन आँखों का, क्या दोश? वो जज़्बाती हैं ज़रा। भर आती हैं, किसी का जाना देखकर। पथरा जाती हैं, फिर ज़माना देखकर।। चलो मान लेते हैं, हाँ रो दिये थे हम। एक क्षण के लिये, खुद को खो दिये थे हम।। समेट लिया ना, संभल जायेगे। बस प्रॉमिस नहीं करते, की फिर से मुस्कुरायेगे।। $शिवि$

बधाई भरा गुलदस्ता !!!

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जब वो लाल सुर्ख जोड़े में सजी, मैं रंगीन लिफाफे में आया ख़त पढ़ रहा था। जब उसने बालो में मोगरे की वेणी डाली, तब मैं किताबों में सहेजे गुलाब चुने जा रहा था। जब उसने नज़ाकत से बिंदी लगाई, तब मैं हाथ पर गुदा टैटू देखे जा रहा था। जब वो पायल पहन रही थी, मैं उसको मना लेने वाला गाना गुनगुना रहा था। जब उसने आँखों में सुरमा लगाया, मैं आँख में कचरा सा गया कहकर मुस्कुरा रहा था। वो जब मुझे दूर से ही देख फुट पड़ी, मैं उसे बधाई भरा गुलदस्ता देकर हंसे जा रहा था। $शिवि$