मौसम ए त्यौहार और चुनाव !!
हर मंत्री , हर संत्री ने, फिर से बिगुल बजाया है।।
ढोल ढमाके सज गए, मंच भी सजाया है।
बड़े बड़े फोटो वाला, बैनर पोस्टर भी बनवाया है।।
लम्बे लम्बे पर्चो पर, मैनिफेस्टो भी छपवाया है।
कुर्ते पैजामे सिल गए, किसी ने सूट भी सिलवाया है।
हार, फुल, माला, घर में इत्र भी छिड़कवाया है।।
आचार संहिता की लिमिट, नया कानून भी बनाया है।
छुप छुप कर प्रचार करेगे, यह सन्देश भी फैलाया है।।
आम जनता कुछ नहीं , परिवारवाद ही बढ़ाया है।
नेता पुत्र , नेता पुत्री, हर गद्दी पर नज़र आया है।।
गली गली घुमे साहब , लोगो को गले भी लगाया है।।
कमल, पंजा, एरावत , गलियों में क्या क्या लहराया है।
इस चुनाव ने भैया , धुल मिटटी में नहलाया है।।
भीड़ बुला ली लाखो की , खाने को तरसाया है।
जात-पात के नाम पर , जनता को लड़ाया है।
इनके कड़वाहट के बिच, मीठा लड्डू खाया है।।
जीत दिला दो इनको , पहली बार पसीना बहाया है।
४ साल की कमाई को , जनता पर लुटाया है।।
समय बड़ा बलवान है भाई , जनता का समय आया है।
मूक बधिर बैठे गद्दी पर , शायद दहाड़ का वक़्त आया है।
घर बैठे बैठे इन्होने , नमो नमो जपवाया है।।
देखे कितना दम है इनमे , बड़ा जनता को लुभाया है।
अब फैसला जनता का ,
की कौन कितना किसके और कितने मन को भाया है।।
bahut khoob
ReplyDeleteNic.one..
ReplyDeletereading it after almost 1 year but still relevant.. Good once , keep writing !
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