माता पिता है - बोझ नहीं !!

आज  यह आँखें , उनका  हाल  देख  आई ..
जो  अपनों  से  दूर , किसी  कोने  में  रह  रहे  है ..
दर्द  ए जुदाई  है , जो  वो  हर  रोज़  सह  रहे  है ..


बड़ी मुश्किल से थाम पाई, मैं उनका  हाथ ..
जो  काम्प्ते  - काम्प्ते कह  रहे  थे ..!!
एक  झलक  दिखा  दो  उस  बेटे  की ..
जिनकी  ऊँगली  थामे , हम  रह  रहे  थे ..!!

उन  आँखों  की  तड़प  देखकर , मेरा  दिल भी  रो  बैठा ..
सुनकर  उनकी  दास्ताँ , क्यों  यह  मुझसे कह  बैठा ..!!
यह  केसा  तोल - मोल  है , इस  दुनिया  का ऐ खुदा ..
जिस  कोख  में  पाला - पोसा , उससे  ही है वो जुदा ..!!

दूर  देश  में  रहता  है  वो..
कोई  उस  तक , यह  पंहुचा  दे ..!!
रातों  की  लोरी , बेसन  के  लड्डू ..
मेरे  हाथ  के 
बने , पंहुचा  दे ..!!

सिसक  सिसक  कर  , उन  हाथो  ने..
हाथ  मेरा  जब  छोड़ा ..!!
इस  दुनिया  के  मोह  से  मैंने ..
अपना मुंह फिर  मोड़ा ..!!


"माता पिता भगवान का रूप है..
उन्हें खुद से दूर मत करो..!!
तुम्हारा बचपन उनके सहारे पनपा है..
अब तुम उनका सहारा बनो..!!"

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