युवा जाग्रति ..!!





भारत में पहले बने , रीती और रिवाज..
अब बन गए सब , निति और राज..!!
कैसी जाती मैरे भाई , कैसा यह समाज..
कोई तो उठाओ अब , अपनी यह आवाज़..!!

जब भी कोई सुनाता है , अपनी आप बीती..
बिन बातें छिड जाती  , सब में "राजनीती"..!!
कोई उसका  दुखड़ा सुन , गले नहीं लगाता उसे..
बस गठित हो जाती है , सैकड़ो "समिति "..!!

कोई चला जुलुस- जलसे संग , गांव -गांव , शहर - शहर..
फिर भी जीवन भिक्षा मांगे , बेटी क्यों दर - दर..!!
कोई मामा बनकर उनको , गोदी में उठाता रहा..
फिर भी यह शहर बन रहा  , दरिंदगी का घर..!!

गाजे बाजे खूब बजे , जीते गांव - शहर ..
बैठो  मत चुप चाप अब , ढ़हने लगा कहर..
अब भी उठ खड़ा हो हर युवा , उठे एक ही स्वर..
बदल दे हम सब मिलकर , यह तस्वीर शहर..!! 

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