प्यार - इश्क या जुदाई..!!
देखा है जज्बा, सबसे लड़ जाने का..
कभी आंखे नम, कभी पथराई भी देखी..!!
यह तूफ़ान, जो अन्दर थमा ही नहीं था..
उसे फिर से लेते , अंगड़ाई भी देखी..
यह समां, जो कभी धुंधलाता नहीं था..
उस कांच पर धुंध, सी छाई भी देखी..!!
दो पहियों की तरह, संग चलते भी देखा.. दो पल में उनकी, लड़ाई भी देखी..
पंछियों की तरह, संग उड़ते भी देखा..
किसी कोने से, उनकी विदाई भी देखी..!!
जब मिले दो दिल, इस निष्ठुर जहाँ में..
तो सबकी नजर में, वाहवाही भी देखी..
कुछ ही पालो में, अलग जो हुए वो..
तो सबकी नज़रे झुकाई भी देखी..!!
"love - a part of life"..
super one...
ReplyDeleteThanku so much vikalp..
Deleteबहुत प्यारी रचना...
ReplyDeleteयह समां, जो कभी धुंधलाता नहीं था..
उस कांच पर धुंध, सी छाई भी देखी..!!
वाह...
अनु
धन्यवाद !!
ReplyDeleteअनु जी :)))
प्रेम और दर्द ...साथ-साथ चलते हैं ...
ReplyDeleteसुंदर रचना ...
शुभकामनायें... ...
सही कहा अनुपमा जी.. :)
ReplyDeleteशुक्रिया :))
Gorgeous...!!
ReplyDelete"Kisi kone se unki judai bhi dekhi"..
:)
Thanks manas :)
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