कसाब नहीं अभिशाप.. !!
पाल पोस कर बड़ा कर दो , उस निर्दयी हत्यारे को .. क्यों जेल में भुगता रहे हो , उस निष्ठुर बेचारे को .. बार बार सजा सुनाकर , फिर बचने को कहते हो .. एक बार में फंसी दे दो , किस से डरते रहते हो .. इस देरी से झलक रही है , सरकार की लाचारी .. खौफ में सहमी बेठी है , यह जनता बेचारी .. मौका है साबित करने का , की देश के तुम हितेषी हो .. कभी कभी तो लगता है , कुर्सी पर बैठे विदेशी हो .. उस चेहरे को देख देख कर , चीखे गूंजा करती है .. हर माँ अपने बेटे की , तस्वीर देख सिहरती है .. उन परिवारों की सिसकियो , की ही दुहाई लेलो .. इतनी आंखे देख रही है , ठोस निर्णय तो लेलो .. आस लगाये बैठे है , न्याय की हम सब ही .. अपने इस कानून से तुम , इस तरह ना खेलो ..!! - 2