भारत माँ की आस !!




छलनी करकर पूछते हो , हाल मेरे इस दिल का तूम..
बेटा
, माँ हु सह लूगी , तेरे अब हर वार का जुल्म..!!

तुने
 मेरे आंचल में ,भ्रष्टाचार को बोया है..
तेरे
 हाथो में देश दिया , तू कुम्भकरण सा सोया है..
भूके
 प्यासे बच्चो का क्या , रुदन नहीं सुनाई दिया..
कैसे
 तुने मेरे आंचल को , (बेटियों के) खून से भिगोया है..!!

जात
 पात , भेद भाव , यह अब भी कायम रख छोड़े..
आरक्षण
 और जातिवाद ने , यह कैसे रास्ते है मोड़े..
शिक्षा
 और भिक्षा में कोई , अंतर ही ना छोड़ा है..
नन्ही
 नन्ही कलियों को , जीवन से पहले तोड़ा है..!!

किसको
 बोलू किस से  कहु , सब ही भागीदारी हो..
तुमसे
 कुछ भी कहना अब , शायद एक गद्दारी हो..
जाने
 इस बोझ को , कब तक सह में पाऊँगी..
शायद
 इस बोझ तले , में जल्द दफ़न हो जाउंगी..!!

हर
बार माफ़ कर देती हु , ममता में बह-बह कर मैं..
इस बार भी माफ़ी दे दी है , हर जुल्म सह-सह कर यह..
मुझे डर है खो ना दू , मेरे लाल सपूतो को..!!
वादा कर दो इस बार अभी..
लौटा दोगे मुझको - मेरा गौरव , मेरा मान..  
लौटा दोगे  मुझको - मेरा वही न्यारा सम्मान..
लौटा दोगे ना मुझे मेरा प्यारा हिंदुस्तान..!!

Comments

  1. the complete poem...
    Even after 66 years of Independence we are still actually not independent..a bad point of INDIA..!!
    This line
    "भूके प्यासे बच्चो का क्या , रुदन नहीं सुनाई दिया..
    कैसे तुने मेरे आंचल को , (बेटियों के) खून से भिगोया है..!!"
    , represents the reality of the poem and its need in today's crime world..a Crimindia in India...!!

    ReplyDelete
  2. Aalekh Thanks alot :) and ya u r ryt.. india needs freedom from all dis evils.. v r young soldiers indeed.. v need to think !!

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  3. Great!!
    you are one fine artist shivangi !!
    Lines touches heart somewhere
    really fantastic job done
    SALUTE

    ReplyDelete

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