खुद को खोकर क्या पाना..!!
इस ज़माने के साथ , चलना है माना..
शराफत भी हो , शोहरत भी कमाना..
इस तेज़ रफ़्तार में , खुद को ना खोना..
लगे ना कभी की-
" खुद को खोकर क्या पाना"..!!
सचमुच बड़ी तेज़ , भाग रही जिंदगी ..
थोडा मुश्किल है इसको , ठीक समझ पाना..
पर सब्र ही सबसे वाज़िब दावा है..
रुतबा तो ठीक , दिल जीत लाना..
मीठे लफ्जों से जीतो , मधुर वाणी रखो..
पर किसी का दिल , तुम नहीं दुखाना..
अकड़ कर जो जीता , तो क्या जीत उसकी..
सर झुकाकर तुम सारे , गढ़ जीत लाना..
दिल साफ़ रखना , सबको अपनाना..
बड़े और छोटे में भेद ना लाना..
चोरी ना करना , ना किसी से छिपाना..
मुश्किल है खुदा की , नज़रों से बच पाना..
ना खुद कभी रुकना , ना किसी को सताना..
ना खुद कभी थमना , ना किसी को थकाना..
आज का रौब है , कल रहे ना रहे यह..
हर जिंदगी का पहलु , हंस के अपनाना..
माना 'माया' की महिमा , सबसे अलग है.. मगर मोह न इसका इतना बढ़ाना..
संभालना ज़रा तुम , खुद के लिए ही ..
लगे ना कभी की..
" खुद को खोकर क्या पाना"..!!
Awesome...!!
ReplyDeleteZindagi ki saari khushiyan jeet lana,
Khud ko khokar, nahi kuch h pana...
thanku so much manas..:)
Deleteबहुत अच्छे एहसास......
ReplyDeleteलिखते रहें....खूब लिखें....
अनु
बिलकुल अनु जी !!
Deleteधन्यवाद्..!!
Wah !! :)
ReplyDeleteजिन्दगी का फलसफा यही है
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